25.करुणाष्टक!
करुणाष्टक ।।बीसवाँ अधिकार।। (१) हे त्रिभुवनगुरु कर्मारिजयी! परमानंद मुक्ती के दाता। मुझकिकर पर करुणा करिए निज सम कर लो जग के त्राता।। (२) हे घातिकर्मनाशक अर्हन्! जग के बहु दुख से खिन्न हूँ मैं। मुझ दीन पे ऐसी दया करो नहिं जन्म मरण अब पाऊँ मैं।। (३) हे प्रभो!…