चौबीस तीर्थंकर चालीसा दोहा श्री अरिहन्त जिनेश को, हृदय कमल में धार। सिद्ध अनन्तानन्त को, वन्दन बारम्बार।।१।। चौबीसों तीर्थेश की, गुणगाथा का गान। करने की इच्छा हुई, किन्तु नहीं है ज्ञान।।२।। हंसगामिनीसरस्वती माता मात की, कृपा यदी हो जाए। सुन्दर और सरल-सरस, शब्दावलि मिल जाए।।३।। चौपाई जैनधर्म प्राकृतिक धर्म है, शाश्वत…
श्री वासुपूज्यनाथ चालीसा दोहा वासणगण से पूज्य हैं, वासुपूज्य भगवान। श्री वसुपूज्य के पुत्र हैं, वासुपूज्य भगवान।।१।। माँ जयावती के लाल हैं, वासुपूज्य भगवान। तीन लोक के नाथ हैं, वासुपूज्य भगवान।।२।। गुणगाथा तुमरी कहें, वासुपूज्य भगवान। लिखने की दो शक्ति अब, वासुपूज्य भगवान।।३।। चौपाई वासुपूज्य भगवान की जय हो, बारहवें जिनराज की…
श्री धर्मनाथ चालीसा दोहा धर्मनाथ भगवान हैं, धर्मचक्र के ईश। इनके चरण सरोज को, नमूँ नमाकर शीश।।१।। धर्मध्वजा फहराई है, अखिल विश्व में नाथ! इसीलिए इच्छा हुई, करने को गुणगान।।२।। विद्या देवी आपकी, कृपा चाहिए मात। क्योंकी उसके बिन नहीं, होता कोई काम।।३।। चौपाई धर्मनाथ भगवान की जय हो, जैनधर्म की सदा…
श्री शांतिनाथ चालीसा दोहा सोलहवें तीर्थेश श्री-शान्तिनाथ भगवान। जिनके दर्शन से मिले, शान्ती अपरम्पार।।१।। बारहवें मदनारिजयीकामदेव, शान्तिनाथ भगवान। जिनकी पूजन से सभी, कामव्यथा नश जाए।।२।। पंचमचक्री ख्यात हैं, शान्तिनाथ भगवान। इनका वंदन यदि करें, सुख-वैभव मिल जाए।।३।। इन त्रयपदयुत नाथ के, चालीसा का पाठ। पूरा होवे शीघ्र ही, कृपा करो श्रुतमात।।४।। चौपाई …