अहिंसक बनने के लिए कम से कम इतना अवश्य करें! चमड़े की वस्तुओं का उपयोग न करें। हाथी दाँत से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल न करें। नहाने-धोने में उन साबुनों का उपयोग करें, जिनमें चर्बी न हो। रसोई तथा मंदिरों में पानी छानने हेतु एवं अन्य कार्यों में खादी का कपड़ा काम में लें, क्योंकि…
अथ श्रीचक्रेश्वरीदेवी अष्टोत्तरशतनाम बीजाक्षर मन्त्राः अष्टोत्तरशतं शुभ्रैः पुष्पैर्वामणिभिस्तथा।यक्षेश्वरी-पदाम्भोजे जपं कृत्वा नमाम्यऽहम् ।। १. ॐ आं क्रों ह्रीं चक्रेश्वर्यै नमः …
जैन धर्म के प्रवर्तक आदिब्रह्मा श्री ऋषभदेव भगवान वर्तमान काल के प्रथम तीर्थंकर हुए हैं जिन्होंने शाश्वत जन्मभूमि अयोध्या में जन्म लेकर प्रजा को असि, मसि आदि षट् क्रियाएं बताकर जीने की कला सिखाई।
पूज्य माता जी ने भगवान ऋषभदेव की भक्ति करते हुए संस्कृत में एकाक्षरी छंद से लेकर अष्टाक्षरी छंद तक, छंद के नाम सहित श्री ऋषभदेव स्तोत्र की रचना की है इस पुस्तक में संस्कृत के साथ-साथ हिंदी में भी अनेक स्तुतियां है
यह अद्वितीय स्तुति पढ़कर भव्यजीव अपने जीवन को धन्य करें ,यही मंगल कामना है