सरस्वती देवी के १०८ मंत्र!
सरस्वती देवी के १०८ मंत्र अर्हद्वक्त्राब्जसंभूतां, गणाधीशावतारितां । महर्षिधारितां स्तोष्ये, नाम्नामष्टशतेन गां ।। १. ॐ ह्रीं श्री आदिब्रह्ममुखाम्भोज प्रभवायै…
सरस्वती देवी के १०८ मंत्र अर्हद्वक्त्राब्जसंभूतां, गणाधीशावतारितां । महर्षिधारितां स्तोष्ये, नाम्नामष्टशतेन गां ।। १. ॐ ह्रीं श्री आदिब्रह्ममुखाम्भोज प्रभवायै…
सरस्वती के प्रतीक सरस्वती ज्ञान की मूर्ति है,उसके अंग तथा वस्त्राभूषण अपने में प्रतीकात्मक अर्थ को छिपाए हुए हैं, इनका किंचित विवेचना प्रस्तुत है- निर्मल शुभ्रमुख- निर्मल शुभ्रमुख ज्ञान के प्रकाशमान स्वरूप का प्रतीक है उसके मुख को करोड़ों चन्द्रमाओं और सूर्यों से रचित बतलाया है। सूर्य दिन के अंधकार को दूर…
प्राणवाय पूर्व का उद्भव, विकास एवं परम्परा सारांश प्राणावाय पूर्व में विवेचित विषय को ही वर्तमान में आयुर्वेद संज्ञा दी गई है। प्रस्तुत आलेख में इस ज्ञान के मूल स्रोत, जैनचार्यों द्वारा इस ज्ञान के आधार पर रचित प्रमाणिक ग्रन्थों का विस्तार पूर्वक विवेचन किया गया है। जैनागम में द्वादशांग के अन्तर्गत बारहवें दुष्टिवादांग…
श्री सरस्वती पूजा स्थापना शंभु छंद तीर्थंकर के मुख से खिरती, अनअक्षर दिव्यध्वनी भाषा। बारह कोठों में सबके हित, परिणमती सर्वजगत् भाषा।। गणधर गुरु जिन ध्वनि को सुनकर, बारह अंगों में रचते हैं। हम दिव्यध्वनी का आह्वानन, करके भक्ती से यजते हैं।।१।। ॐ ह्रीं तीर्थंकरमुखकमलविनिर्गतद्वादशांगमयीसरस्वतीमातः! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं तीर्थंकरमुखकमलविनिर्गतद्वादशांगमयीसरस्वतीमातः!…
ज्ञानमूर्ति सरस्वती या कुंदेन्दुतुषार हार धवला, या शुभ्रवस्त्रावृता । या वीणा वर दंड मंडित करा, या श्वेत पदमासना ।। सा ब्रह्मार्चित शंकर प्रभृतिभिर्दैवे, सदा वंदिता । सा माम् पातु सरस्वती भगवती नि:शेष जाड्यापहा ।। ज्ञान की देवी वीणा वादिनी, माँ शारदे, वाग्देवी आदि नामों से स्तुल्य सरस्वती माँ ज्ञान की मूर्ति हैं,…