णमोकार मंत्र का अर्थ एवं महिमा णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।।१।। अर्थ- अर्हंतों को नमस्कार हो, सिद्धों को नमस्कार हो, आचार्यों को नमस्कार हो, उपाध्यायों को नमस्कार हो और लोक में सर्व साधुओं को नमस्कार हो। (१) ‘णमो अरिहंताणं’ ‘अरिहननादरिहंता!’ ‘अरि’ अर्थात् शत्रुओं के ‘हननात्’ अर्थात् नाश करने वाले…
दिगम्बर जैन मतानुसार शासन देव- देवी (१) भगवान आदिनाथ के शासन देव-गोमुख यक्ष एवं चक्रेश्वरी देवी १. गौमुख यक्ष का स्वरूप – सव्वेतरोध्र्वकरदीप्रपरश्वधाक्ष- सूत्रं तथाऽधरकराज्र्फलेहष्टदानम्। प्राग्गोमुखं वृषमुखं वृषगं बृषाड्क-भत्तंकं यजे कनकभं वृषचक्शीर्षम् ।।१।। वृषभ के चिन्हवाले श्री आदिनाथ जिन के अधिष्ठायिक देव ‘गोमुख’ नामका यक्ष है वह सुवर्ण के जैसी कांतिवाला,…
महालक्ष्मी माता की पूजन रचयित्री-आर्यिका चंदनामती स्थापना (शंभु छंद) हे लक्ष्मी माता! तव मस्तक पर, प्रभु अरिहंत विराजे हैं। प्रभु से पावन तेरे तन पर, आभूषण गुण के राजे हैं।। प्रभु समवसरण में सरस्वती के, साथ सदैव रहा करतीं। तेरी पूजन से इसीलिए, जनता धनवान बना करती।।१।। दोहा आह्वानन स्थापना, सन्निधिकरण प्रधान। इस विधि लक्ष्मी…
महादेवी पद्मावती प्रशंसा (पं. आशाधर सूरि विरचित) प्रस्तुति – आचार्य श्री विद्यानन्दि मुनि महाराज जय मंगलं जयतु शुभमंगलम्। जय नागपतियुवति पद्मांबिके।।१।। जय हो मंगल हो, शुभ मंगल हो। नागराज की रानी, माता पद्मावती की जय हो। मणिमुकुटरत्न कुण्डल-हारराजिते। मणिखचित-केयूर-करभूषिते।।२।। जय मंगलं जयतु शुभमंगलम्।। पल्लव।। मणि, मुकुटरत्न, कुण्डल तथा हार से सुशोभित मणियों से युक्त केयूर द्वारा अलंकृत…