फैशन एक अभिशाप मानव शरीर में ५६८९९५८४ रोग हैं। मनुष्य का शरीर रोगों का घर है। ये रोग किसी भी विपरीत पदार्थ व कर्म का निमित्त पाते ही व्याधियों के रूप में शरीर में व्याप्त हो जाते हैं और अनेक प्रकार के कष्टों को जन्म देते हैं लेकिन इन सभी रोगों के दो महारोग हैं…
जैन हर्बल्स कम्पनी-मुम्बई द्वारा उत्पादित अहिंसक प्रसाधन सामग्री प्रस्तुति – आर्यिका चंदनामती माताजी अहिंसक पदार्थों की शृंखला में एक अन्य नाम है ‘वनौषधियों’ का, जिनका उत्पादन डॉ. उर्जिता जैन (एम.डी.)-मुम्बई द्वारा संचालित ‘वनौषधि केन्द्रों’ में किया जा रहा है। स्वास्थ्य एवं सौंदर्य के क्षेत्र में पूर्णतया वनस्पति आधारित इन अहिंसक पदार्थों की लिस्ट यहाँ प्रस्तुत…
नागिन माता श्री सतीश जैन, इंजीनियर सागर, (म. प्र.) (1) लक्ष्मी के जैसे घर घर में पुजती आई है जो नारी महावीर, राम को कोख से अपनी जनती आई है जो नारी आंचल में अपने क्षीर भरे ममता की मूरत जो नारी शक्ति का रूप रही आई है आदि काल से जो नारी आज शिशू…
प्राकृतिक संरचना और मांसाहार भोगों में लिप्त जीवन अंतिम श्वाँसें ले रहा था। प्रकृति के अकस्मात् परिवर्तन से भोग—विलास से युक्त वसुन्धरा पर कर्मयुग शनै: शनै: उतर रहा था। भोग युग में ढले हुए प्राणियों को कर्म— युग बड़ा ही नागवार गुजरा; क्योंकि भोगयुग में उन्हें वैषेयिक सामग्री वस्त्र/भोजन/आभूषण आदि बिना किसी…