चैत्यभक्ति अपरनाम जयति भगवान महास्तोत्र (अध्याय १) ये जिनप्रतिमायें अधिकतम जिनमंदिरों में ही विराजमान रहती हैं अत: आगे नवमें देव की वन्दना करते हैं— श्री गौतमस्वामी जिनचैत्यालयों की वंदना करते हैं— ‘‘भुवनत्रयेऽपि भुवन—त्रयाधिपाभ्यच्र्य तीर्थकर्तृणाम्। वन्दे भवाग्निशान्त्यै, विभवानामालयालीस्ता:।।९।।’’ अमृतर्विषणी टीका— अर्थ— तीनों लोकों के इंद्रों से र्अिचत ऐसे तीर्थंकर भगवान जो कि भव—संसार के भ्रमण से…
चैत्यभक्ति अपरनाम जयति भगवान महास्तोत्र (अध्याय १) श्रीगौतमस्वामी ने जिनचैत्य—जिनप्रतिमाओं की वन्दना की है— ‘‘भवनविमानज्योति–व्र्यंतरनरलोकविश्वचैत्यानि। त्रिजगदभिवन्दितानां, वन्दे त्रेधा जिनेन्द्राणाम्।।८।।’’ अर्थ— भवनवासी, वैमानिक, ज्योतिषी और व्यंतर इन चार प्रकार के देवों के यहाँ तथा नरलोक— मनुष्यलोक में होने वाली अकृत्रिम—कृत्रिम सभी जितनी भी जिनेंद्रदेवों की जिनचैत्य—जिनप्रतिमायें हैं, जो कि तीनों जगत में पूज्य हैं उन सभी…
चैत्यभक्ति अपरनाम जयति भगवान महास्तोत्र (अध्याय १) इसके आगे स्वयं श्री गौतमस्वामी नवदेवों की संख्या दिखाते हुये कहते हैं— ‘‘इति पंचमहापुरुषा:, प्रणुता जिनधर्मवचनचैत्यानि। चैत्यालयाश्च विमलां, दिशंतु बोिंध बुधजनेष्टाम्।।१०।।’’ अमृतर्विषणी टीका— अर्थ- इस प्रकार पंचमहापुरुष—पांच परमेष्ठी जिनकी मैंने वन्दना की है। पुन: जिनधर्म, जिनवचन, जिनचैत्य और चैत्यालय ये नव देव मुझे बुधजन इष्ट ऐसी विमल बोधि—रत्नत्रय…
विधान – श्री ऋषभदेव विधान (वृहद्) श्री ऋषभदेव विधान (लघु) पढ़ें श्री ऋषभदेव विधान पढ़ें व्रत- श्री ऋषभदेव व्रत पढ़ें भजन – भगवान ऋषभदेव से सम्बन्धित भजन चालीसा – भगवान ऋषभदेव चालीसा ऋषभदेव चालीसा भगवान ऋषभदेव दीक्षा ,केवलज्ञान भूमि प्रयाग तीर्थक्षेत्र चालीसा भगवान ऋषभदेव निर्वाणभूमि कैलाशगिरी सिद्धक्षेत्र चालीसा वंदना – भगवान ऋषभदेव वन्दना श्री ऋषभदेव…
मांसाहार से छुटकारा कैसे पाएं ? पुस्तकों में वर्णित शाकाहार व मांसाहार के गुण दोषों को समझने व मांसाहार से होने वाले रोगों व हानियों को जानने के बाद जो भाई बहिन मांसाहार को त्याग कर शाकाहारी बनना चाहते हैं, किंतु सामाजिक व पारिवारिक परिस्थितियों के कारण अथवा स्वाद के वश इसको त्यागने में संकोच…