श्री शांतिनाथ स्तोत्र शार्दूलविक्रीडित छंद त्रैलोक्याधिपतित्वसूचनपरं लोकेश्वरैरुद्धृतं यस्योपर्युपरीन्दुमण्डलनिभं छत्रत्रयं राजते । अश्रांतोद्गतकेवलोज्जवलरुचा निर्भर्सितार्कप्रभं सोऽस्मान् पातु निरञ्जनो जिनपति: श्री शांतिनाथ: सदा ।।१”” अर्थ— जिन शांतिनाथ भगवान के मस्तक के ऊपर तीनों लोक के स्वामीपने के प्रकट करने में तत्पर तथा देवेन्द्रों द्वारा आरोपित चंद्रमा के प्रतिबिम्ब के समान तीन छत्र शोभित होते हैं और निरंतर उदय…
भगवान महावीर केवलज्ञान भूमि जृम्भिका (जमुई) (बिहार) तीर्थ परिचय बिहार के अधिका ग्राम (वर्तमान में अमूई ग्राम) में ऋजुकूला नदी के तट पर भगवान महावीर स्वामी को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जैन समाज की सर्वोच्च साध्वी गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की पावन प्रेरणा एक मंगल आशीर्वाद से स्वस्तिश्री पीठाधीश रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी के सान्निध्य में…
Namo Arihantanam Namo Siddhanam Namo Ayriyanam Namo Uvjhayanam Namo Loy Svvasahonam Eso Panch Namaskaro, Savva Paap Panasno, mangla lanche savvesim, Paddmam havai manglam.
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कमल मंदिर कमल मंदिर में विराजमान कल्पवृक्ष भगवान महावीर की अतिशयकारी, मनोहारी एवं अवगाहना प्रमाण सवा दस फुट ऊँची खड्गासन प्रतिमा सर्वप्रथम फरवरी सन् 1975 में इस प्रतिमा की प्रतिष्ठा होने के बाद ही क्षेत्र का विकास प्रगति को प्राप्त हुआ और आज भी जम्प ही नहीं अपितु पूरे हस्तिनापुर में तीर्थ विकास के…
भगवान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर (नालंदा-बिहार) का विकास भगवान महावीर के 2600 वें जन्मकल्याणक महोत्सव के अवसर पर पूज्य माताजी ने उनकी वास्तविक जन्मभूमि कुण्डलपुर (नालंदा) के उपेक्षित स्वरूप को विकसित करने की प्रेरणा देकर वास्तव में जैन समाज पर महान उपकार किया है। वहाँ लघुकाय प्राचीन मंदिर में कीर्तिस्तंभ का निर्माण करके दिगम्बर जैन त्रिलोक…