आर्यिका श्री १०५ स्वस्थमति माता जी पूर्व का नाम : बाल ब्रह्मचारिणी शशि दीदी पिता का नाम : श्री धन्नालाल जी जैन माता का नाम : …
आर्यिका श्री १०५ तथ्यमति माता जी पूर्व का नाम : बाल ब्रह्मचारिणी भारती दीदी पिता का नाम : श्री बुधमल जी जैन (चौधरी) माता का नाम : …
आर्यिका श्री १०५ वात्सल्यमति माता जी पूर्व का नाम : बाल ब्रह्मचारिणी साधना दीदी पिता का नाम : स्व.श्री गुलझारी लाल जी जैन माता का नाम : …
आर्यिका श्री १०५ पथ्यमति माता जी पूर्व का नाम : बाल ब्रह्मचारिणी रजनी दीदी पिता का नाम : श्री वीरेन्द्र कुमार जैन माता का नाम : …
जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र और ऐरावत क्षेत्र में षट काल परिवर्तन होता रहता है | जम्बूद्वीप में 458 अकृत्रिम चैत्यालय हैं |
तीन लोक : एक दृष्टि में सर्वज्ञ भगवान से अवलोकित अनंतानंत अलोकाकाश के बहुमध्य भाग में ३४३ राजू प्रमाण पुरुषाकार लोकाकाश है। यह लोकाकाश जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म और काल इन पांचों द्रव्यों से व्याप्त है। आदि और अन्त से रहित-अनादि अनंत है, स्वभाव से ही उत्पन्न हुआ है। छह द्रव्यों से सहित यह लोकाकाश…
जैन भूगोल – एक दृष्टि में यह तीन लोक अनादिनिधन-अकृत्रिम हैं। इसको बनाने वाला कोई भी ईश्वर आदि नहीं है। इसके मध्यभाग में कुछ कम तेरह राजू लंबी, एक राजू चौड़ी और मोटी त्रसनाली है। इसमें सात राजू अधोलोक है एवंं सात राजू ऊँचा ऊध्र्वजलोक है तथा मध्य में निन्यानवे हजार चालीस योजन ऊँचा और…
जैन दर्शन जिसके द्वारा वस्तु तत्त्व का निर्णय किया जाता है वह दर्शनशास्त्र है। कहा भी है-‘‘दृश्यते निर्णीयते वस्तुतत्त्वमनेनेति दर्शनम्।’’ इस लक्षण से दर्शनशास्त्र तर्क-वितर्क, मन्थन या परीक्षास्वरूप हैं जो कि तत्त्वों का निर्णय कराने वाले हैं। जैसे-यह संसार नित्य है या अनित्य ? इसकी सृष्टि करने वाला कोई है या नहीं ? आत्मा का…