आर्यिकाओं की नवधाभक्ति आगमोक्त है
आर्यिकाओं की नवधाभक्ति आगमोक्त है आर्यिकाएँ यद्यपि उपचार से महाव्रती हैं फिर भी वे अट्ठाईस मूलगुणों को धारण करती हैं, नवधाभक्ति की पात्र हैं और सिद्धांत ग्रंथ आदि को पढ़ने का, लिखने का उन्हें अधिकार है। इस विषय पर मैं आपको आगम के परिप्रेक्ष्य में बताती हूँ-चारित्रचक्रवर्ती आचार्यश्री शांतिसागरजी महाराज की परम्परा में जो…