02.02. जम्बूद्वीप भरतक्षेत्र की त्रैकालिक तीर्थंकर स्तुति
जम्बूद्वीप भरतक्षेत्र की त्रैकालिक तीर्थंकर स्तुति (हिन्दी काव्य) -शंभु छंद- श्रीमन् निर्वाणप्रभू सागर, औ महासाधु विमलप्रभु हैं। श्रीधर सुदत्त औ अमलप्रभू, उद्धर अंगिर सन्मति प्रभु हैं।। सिंधूजिन कुसुमांजलि शिवगण, उत्साह तथा ज्ञानेश्वर हैं। परमेश्वर विमलेश्वर यशधर, जिनकृष्ण ज्ञानमति जिनवर हैं।।१।। प्रभु शुद्धमति श्री भद्रनाथ, अतिक्रांत शांत प्रभु तीर्थंकर। इस भरतक्षेत्र में भूतकाल के, चौबिस जिनवर…