मंत्रों का प्रभाव तथा महिमा
मंत्रों का प्रभाव तथा महिमा द्वादशांग जिनवाणी के ग्यारह अंग स्मृति से लुप्त हो चुके थे। बारहवें अंग दृष्टिवाद का कुछ अंश धरसेनाचार्य के पास सुरक्षित था। भगवान महावीर की दिव्यध्वनि से खिरी यह श्रुत परम्परा का अंतिम आगम भी मेरे बाद विलुप्त न हो जाये इस चिन्तन के साथ धरसेनाचार्य ने पुष्पदन्त तथा…