संभवनाथ की आरती
भगवान श्री संभवनाथ की आरती-३ तर्ज—मैं तो आरती उतारूं रे........ मैं तो आरती उतारूं रे, सम्भव जिनेश्वर की, जय जय जिनेन्द्र प्रभु, जय जय जय-२।।टेक.।। इस युग के तृतीय प्रभू, तुम्हीं तो कहलाए, तुम्हीं...... पिता दृढ़रथ सुषेणा मात, पा तुम्हें हरषाए, पा......... अवधपुरी धन्य-धन्य, इन्द्रगण प्रसन्नमन, उत्सव मनाएं रे हो जन्म उत्सव मनाएँ रे।।मैं..............।।१।। मगशिर...