जिनबिम्ब निर्माण माप
जिनबिम्ब निर्माण माप अथ बिम्बं जिनेन्द्रस्य, कर्तव्यं लक्षणान्वितम्। ऋज्वायतसुसंस्थानं, तरूणांगं दिगम्बरम्।।१।। अर्थ-जिनेन्द्र भगवान का प्रतिबिम्ब सरल, लंबा, सुंदर, समचतुरस्र संस्थान तरुण अवस्थाधारी, नग्न जातलिंगधारी सर्व लक्षणसंयुक्त करना योग्य है।।१।। श्रीवत्सभूषितोरस्कं, जानुप्राप्तकराग्रजं। निजांगुलप्रमाणेन, साष्टांगुलशतायुतम्।।२।। अर्थ-श्रीवत्सचिन्ह से भूषित है वक्षस्थल जिनका और गोड़े पर्यंत (घुटने पर्यंत) लंबायमान हैं भुजा जिनकी, ऐसे निजांगुल के प्रमाण से १०८ भागप्रमाण…