भगवान अभिनन्दननाथ वन्दना
श्री अभिनन्दननाथ वन्दना दोहा गणपति नरपति सुरपती, खगपति रुचि मन धार। अभिनंदन प्रभु आपके, गाते गुण अविकार।।१।। शेर छंद जय जय जिनेन्द्र आपने जब जन्म था लिया। इन्द्रों के भी आसन कंपे आश्चर्य हो गया।। सुरपति स्वयं आसन से उतर सात पग चले। मस्तक झुका के नाथ चरण वंदना करें।।२।। प्रभु आपका जन्माभिषेक इन्द्र...