उत्तम ब्रह्मचर्यधर्म!
उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म (गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के प्रवचनांश……..) यह ब्रह्मस्वरूप कही आत्मा, इसमें चर्या ब्रह्मचर्य कहा। गुरुकुल में वास रहे नित ही, वह भी है ब्रह्मचर्य सुखदा।। सब नारी को माता भगिनी, पुत्रीवत् समझें पुरुष सही। महिलाएँ पुरुषों को भाई, पितु पुत्र सदृश समझें नित ही।। दुर्धर और उत्कृष्ट ब्रह्मचर्य व्रत को धारण…