पर्याय दृष्टि!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर्याय दृष्टि Viewpoint of wrong believer. मिथ्यादृष्टि की दृष्टि।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर्याय दृष्टि Viewpoint of wrong believer. मिथ्यादृष्टि की दृष्टि।
कर्मसिद्धांत- नये परिप्रेक्ष्य में –डॉ. सुभाष चन्द्र जैन,मुम्बई कर्म सिद्धान्त की चर्चा में कर्म शब्द का उपयोग दो विभिन्न प्रसंग में किया जाता है। प्राणी कर्म करते हैं और कर्म बांधते भी हैं। ‘करने’ वाले और ‘बंधने’ वाले कर्मों के अर्थ में अंतर हैं। दोनों तरह के कर्म, यानी ‘करने’ वाले और ‘बंधने’ वाले कर्म…
सातवां व्यसन (परस्त्री सेवन नरक का द्वार है) अपनी विवाहित स्त्री के सिवाय दूसरी स्त्रियों के साथ रमण करना—व्यभिचार करना परस्त्री सेवन नाम का व्यसन है। परस्त्री की अभिलाषा मात्र से ही पाप लगता है, तो फिर उसके सेवन करने से तो महापाप का ही बन्ध होता है। इस व्यसन में रावण का नाम पौराणिक…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पवाइज्जमाण Authentic & traditional doctrines approved by acharyas. जो उपदेश आचार्य सम्मत होता है और चिरकाल से अविच्छिन्न्ा संप्रदाय के क्रम से शिष्य परम्परा द्वारा लाया जाता है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर्यायोपचार To express properties of substance in the form of paryaya. उपचार, द्रव्य गुण को पर्याय रुप से लक्षित करना।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पश्चात् आनुपूर्वो Exposition of something in reverse order. किसी वस्तु का विवेचन अन्त से लेकर आदि तक करना।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पवन A king of rakshas dynasty, air. राक्षस वंश का एक राजा, वायु।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर्युदास अभाव Perceiving something in the relative absence of the other. किसी एक वस्तु के अभाव मे दूसरी वस्तु का सद्भाव ग्रहण करना। जैसे प्रकाश का अभाव की अंधकार है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर्यायार्थिक नय A type of standpoint describing the particular mode of any substance model standpoint. नय का एक भेद, पर्याय विशेष का कथन करने वाला नय।