नोकर्माहार!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्माहार – Nokarmaahaara. See – Nokarma Aahaara. देखें – नोकर्म आहार “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्माहार – Nokarmaahaara. See – Nokarma Aahaara. देखें – नोकर्म आहार “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्ति (नवधा) – Bhakti (Navadha). A procedural food offering to Jaina saints (see-Navadha Bhakti), A virtue of food –doner. विधि से अर्थात दाता के सात गुण सहित क्रिया के द्वारा नवधा भक्तिपूर्वक दिगम्बर जैन साधुओं को आहार देना (देखें –नवधा भक्ति) ” आहारदाता के ७ गुणों में एक गुण; पात्र के प्रति…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म वर्गणा – Nokarma Varganaa. 19 Varganas out of 23 excluding Karmamn, Bhasha, Mano & Tejas. कुल 23 वर्गणाओं में से कार्मण, भाषा, मनो, तैजस इन 4 को छोड़कर 19 वर्गणाएं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्ति – Bhakti. Eulogical devotion for Lord. अर्हत आदि के गुणों में अनुराग रखना भक्ति है अथवा निज परमात्म तत्त्व के सम्यक् श्रध्दान – अवबोध – आचरण स्वरूप शुद्ध रत्नत्रय परिणामों में अनुरक्त रहना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तामर स्तोत्र – Bhaktamara Stotra. A great spiritual hymn written by Acharya Mantung on Lord Adinath. आचर्य मानतुंग (ई.श. ७ पूर्व) द्वारा संस्क्रत में रचित आदिनाथ भगवान का स्तोत्र ” इसमें ४८ काव्य हैं ” इस स्तोत्र के प्रभाव से उनकी बेड़ियाँ स्वयं टूट गई थीं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म नारकी – Nokarma Naarakee. Nokarma dravyas causing hellish realm. पाश, पंजर, यंत्र आदि नोकर्म द्रव्य जो नारकभाव की उत्पत्ति में कारण भूत होते है, नोकर्म द्रव्य नारकी हैं
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तामर विधान – Bhakramara Vidhana. A worshipping book of Bhaktamar Stotra. एक पूजा विशेष जिसमें भक्तामर स्तोत्र के ४८ काव्य पढ़कर ४८ अधर्य चढ़ाते हुए भगवान आदिनाथ की पूजा की जाती है ” इसकी रचना गणिनी ज्ञानमती माताजी की शिष्या आर्यिका श्री चंदनामति माताजी के द्वारा की गई है ” अन्य लेखकों…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तामर कथा – Bhaktamara Katha. Name of tales written by Pandit Raymallaji and Jaichand Chhabda. पं. रायमल्ल (ई. १६१०) एंव पं. जयचन्द छाबड़ा (ई. १८१३) द्वारा रचित कथा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नोकर्म द्रव्य कर्म – Nokarma Dravya Karma. External substances causing some results by Karmic fruition. कर्म प्रकृति के उदय फलस्वरूप जो कार्य हो उस कार्य के लिए जो बाहरी वस्तु कारण भूत हो वह वस्तु प्रकृति का नोकर्म द्रव्य कर्म है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तप्रत्याख्यान – Bhaktapratyakhyana. Abandonment of food gradually for an auspl-cious & holy death. समाधिमरण; जिसमें शास्त्रोक्त विधि से क्रमशः आहार का त्याग किया जाता है इसका जघन्य काल अन्तंर्महूर्त एंव उत्क्रष्टकाल १२ वर्ष है “