आदर्शों को अपना लूँ
आदर्शों को अपना लूँ रचयित्री-श्रीमती मालती जैन, बसंतकुंज, दिल्ली इस जग में मां की ममता हर किस्मत वालों को मिलती है। माँ होकर भी ममता न मिले यह बात अजब सी लगती है।। बस इसी कहानी का चित्रण इक ग्रंथ रूप बन जाता है। जहँ नहीं ‘मालती’ ममता का, केवल समता ही नाता है।।१।। अपने-अपने…