नंदीश्वर द्वीप के जिनमंदिर इदानीं नन्दीश्वद्वीपं सविशेषं प्रतिपादयन् तावत्तस्य वलयव्यासमाह— आदीदो खलु अट्ठमणंदीसरदीववलयविक्खंभो। सयसमहियतेवट्ठीकोडी चुलसीदिलक्खा ये१।।९६६।। आदितः खलु अष्टमनन्दीश्वरद्वीपवलयविष्कम्भः। शतसमधिकत्रिषष्टिकोटिः चतुरशीतिलक्षश्च।।९६६।। आदीदो। जम्बूद्वीपादारभ्याष्टमनन्दीश्वरद्वीपवलयविष्कम्भः शतसमधिकत्रिषष्टिकोटिचतुरशीतिलक्षयो- जनप्रमितः खलु १६३८४००००० एतावत्कथं नन्दीश्वरद्वीपसहितप्राक्तनद्वीपसमुद्राणां संख्या १५ कृत्वा रूऊणाहियपदमित्यादिना कृते सति भवति।।९६६।। अथात्र दिव्चतुष्टयस्थितानां पर्वतानामाख्यां संख्यामवस्थानं च निरूपयति— एक्कचउक्कट्ठं जणदहिमुहरइयरणगा पडिदिसम्हि। मज्झे चउदिसवावीमज्झे तब्बाहिरदुकोणे।।९६७।। एकचतुष्काष्टाञ्जनदधिमुखरतिकरनगाः प्रतिदिशं। मध्ये चतुर्दिग्वापीमध्ये तद्बाह्यद्विकोणे।।९६७।। एक्क। प्रतिदिशं…
प्रवचन पद्धति प्रवचनकर्ता विद्वान् को पहले निम्नलिखित चार बातों को समझ लेना अति आवश्यक है-प्रवचनकर्ता, प्रवचन का विषय, प्रवचन और प्रवचन का फल। अर्थात् प्रवचनकर्ता वैâसा होना चाहिए? उसमें क्या-क्या गुण आवश्यक हैं? प्रवचन का विषय क्या है? प्रवचन किसे कहते हैं? और प्रवचन का फल क्या है? इन चारों को समझकर प्रवचन करने वाला…
भाव बंध और द्रव्य बंध जिन चेतन के परिणामों से, ये कर्म जीव से बंधते हैं। उन भावों को ही भावबंध, संज्ञा श्रीजिनवर कहते हैं।। जो कर्म और आतम प्रदेश, इनका आपस में मिल करके। अति एकमेक हो बंध जाना, यह द्रव्यबंध है बहुविध से।।३२।। आत्मा के जिन भावों से कर्म बंधता है, वह आत्मा…
धन और धर्म /> left “50px”]] /> right “50px”]] धन—की रक्षा करनी पड़ती है। धर्म—हमारी रक्षा करता है। धन दुर्गति में ले जाता है। धर्म सद्गति में ले जाता है। धन के दुश्मन बहुत है। धर्म का दुश्मन कोई नहीं है। धन के लिए पाप करना पड़ता है। धर्म में पाप का सम्पूर्ण त्याग होता…
[[श्रेणी:नौ बलभद्र,नारायण एवं प्रतिनारायण]] == ”सुप्रभ बलभद्र एवं पुरुषोत्तम नारायण” भगवान अनंतनाथ के समय में सुप्रभ बलभद्र और पुरुषोत्तम नारायण हुए हैं। इनका संक्षिप्त विवरण सुनाया जा रहा है- इसी जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र के पोदनपुर में राजा वसुषेण राज्य करते थे, उनकी पाँच सौ रानियों में नंदा महारानी राजा को अतीव प्रिय थीं। मलयदेश के…
चतुर्थगुणस्थान में आत्मानुभूति परमपूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी से डॉ. श्रेयांस कुमार जैन, बड़ौत (अध्यक्ष-अ.भा. दिगम्बर जैन शास्त्रिपरिषद) का एक विशेष साक्षात्कार डॉ. श्रेयांस – पूज्य माताजी! वंदामि, आज हम लोग आपसे ‘चतुर्थ गुणस्थान की पात्रता’ के विषय में विद्वानों के बीच चलने वाली ऊहापोह के विषय में समाधान प्राप्त करने हेतु उपस्थित हुए…
सती सुलोचना सुप्रभा– बहन कनकप्रभा ! आज मुझे सुलोचना की कोई चमत्कारिक घटना सुनाओ कनकप्रभा– अच्छा बहन सुनो ! सचमुच में सुलोचना भी एक महान नारीरत्न हुई है भरत चक्रवर्ती के सेनापति रत्न जयकुमार स्वयंवर विधि से सुलोचना के साथ पाणिग्रहण करके बनारस नगरी से चलकर अपनी राजधानी हस्तिनापुर नगरी की ओर जा रहे थे…
कील मुंहासे से बचने के घरेलू उपाय और आसान ईलाज १. कपूर को नारियल तेल के साथ मिलाकर मुंहासे के निशान पर लगाएँ और लगभग १० मिनट बाद धो लें, यह कील मुहाँसों का कारगर इलाज है। २. बीस पच्चीस दाने काली मिर्च गुलाब जल में पीसकर रात को चेहरे पर लगाये सुबह गर्म…