बहुमंजिला भवन जनसंख्या की वृद्धि भारतवर्ष में निरन्तर होती जा रही है। शहरी एवं ग्रामों में स्थानाभाव होता जा रहा है। स्थानाभाव का विकल्प बन चुका है। आज की जरूरत अनूकूल यह प्रयास सराहनीय है। परिवार में हम दो हमारे दो का चलन बढ़ता जा रहा है। छोटे परिवार के लिए एक मकान की सुरक्षा…
प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर शिमला (हिमाचल प्रदेश) हिमालय की गोद में स्थित हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला एक ठण्डे भू भाग में बसा हुआ है। जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य एवं अनुकूल वातावरण के लिये अतुलनीय होकर पर्यटकों के लिये सहज उपलब्ध स्वर्ग है। १९वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में अंग्रेजों द्वारा बसाये गये शहर में…
भगवान पार्श्वनाथ दशभव की काव्यकथा प्रस्तुति-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती प्रिय पाठकों! जैनधर्म के २३वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के संघर्षशील जीवन से आप सभी को परिचित कराने हेतु यहाँ पर उनके दश भवों का कथानक काव्य में प्रस्तुत किया जा रहा है। मरुभूति की पर्याय से उन्होंने किस प्रकार अपने भाई कमठ के द्वारा किये गये…
गर्भपात भयंकर पाप ओ माँ ! तू इतनी व्रूर बन गई जिस देश में किसी समय भू्रण हत्या को हत्या से भी ज्यादा अपराध समझा जाता था, उसी देश के शहरों में अब दीवारों पर २५ रूपयें में मशीन द्वारा गर्भपात के विज्ञापन देखने को मिलते है। इस समय देश में लगभग १६० केन्द्र हैं…
जैनधर्म का सामान्य परिचय प्रश्न १. जैनधर्म क्या है ? उत्तर—जिन (जिनेन्द्र भगवान व्दारा कहे गये धर्म को जैन धर्म कहते हैं। प्रश्न २. जिन (जिनेन्द्र) किसे कहते हैं ? उत्तर—जयति इति जिन:। अपनी इन्द्रियों, वासनाओं, इच्छाओं और कर्मों को जीतने वाले जिन कहलाते हैं। प्रश्न ३. जैनधर्म के प्राचीन नाम कौन—कौन से हैं ?…
जम्बूद्वीप और चैत्यालय संजय-गुरु जी! इस जम्बूद्वीप में सुमेरुपर्वत, भोगभूमि, कर्मभूमि और विदेह क्षेत्र ये सब कहाँ-कहाँ हैं? गुरु जी-सुनो! एक लाख योजन विस्तृत जम्बूद्वीप में सबसे बीच में सुमेरुपर्वत है। यह एक लाख चालीस योजन ऊँचा है। पृथ्वी पर दस हजार योजन चौड़ा गोलाकार है। इसमें पृथ्वी पर भद्रसालवन है। उससे ५०० योजन…
बहुरूपिया का भंडाफोड़ (काव्य तेरह से सम्बन्धित कथा) दैदीप्यमान सिंहासन पर सम्राट कर्ण अपने राजसी वैभव को चारों ओर विखेरे हुए शोभित हो रहे हैं, और दिनों की अपेक्षा दरबार भी ठसाठस भरा हुआ है। ज्ञात होता है कि आज उन्होंने सर्वधर्म सम्मेलन का बृहत आयोजन किया है। देश देशान्तरों से पधारे हुए ज्ञानी, योगी…
प्रभुता से प्रभु दूर (काव्य चौतीस व पैंतीस से सम्बन्धित कथा) प्रभुत्व एक महाशक्ति है, जिसके आवरण में व्यक्ति स्वयं को अति उच्च मान बैठता है।राजा भीमसेन बनारस के महाराजाधिराज थे। आस पास के क्षेत्रों में स्थित अन्य छोटे-छोटे जागीरदार उनका लोहा मानते थे तथा खुशामंदी-चापलूस उनको हमेशा चारों ओर से घेरे रहते थे।…