तीन की महिमा तीन का भरोसा मत कीजिये काल, कर्म, जगत तीन का हमेशा सम्मान कीजिए माता, पिता, गुरुतीन बातें याद रखिए कर्ज, फर्ज, मर्जतीन वस्तुएँ जीवन में एक बार मिलती है माँ , बाप, जवानी तीन बातों पर नियंत्रण रखें काम, क्रोध, कामनातीन चीजें किसी का इन्तजार नहीं करती समय, मौत , ग्राहकतीन बातें…
क्या है इकतीस (३१) कर्म विपाक सूत्र— (अ) ज्ञानावरणीय कर्म के पांच भेद— (१) मतिज्ञानावरण (२) श्रुतज्ञानावरण (३) अवधिज्ञानावरण (४) मन: पर्ययज्ञानावरण (५) केवलज्ञानावरण। (ब) दर्शनावरणीय कर्म के नौ भेद— (१) चक्षुदर्शनावरण (२) अचक्षुदर्शनावरण (३) अवधिदर्शनावरण (४) केवलदर्शनावरण (५) निद्रा (६) निद्रा—निद्रा (७) प्रचला (८) प्रचला—प्रचला (९) स्त्यानगृद्धि (स) वेदनीय कर्म के २ भेद— (१)…
जिनकी सुरभि से सुरभित सारा संसार जो है करुणामयी वो है ज्ञानमती माता। जिनके दर्शन से हर पाप है नश जाता। वो माता है, वो माता है, वो माता है, वो माता है।। ज्ञान की गंगा, ममता की मूरत। करुणामयी है जिनकी सूरत।। सूरत तो देखो, कितनी है आभा। जिनके दर्शन से हर प्राणी सुख…
भव्यात्माओं का किया उद्धार वंदन करूँ पंच परम गुरु, चतुर्विंशति जिन महाराज। नमन जिन भाषित भारती, सम्यग्ज्ञान प्राप्ति ममकाज।।१।। मंगलकर्ता हैं महावीर प्रभु, मंगलकारी गौतम गणेश। मांगलिक कुन्दकुन्द सूरि, मंगल कारक सद्धर्म जिनेश।।२।। श्री शांतिसागर के पट्टधर थे, वीरसागर जी मुनिनाथ। तिन दीक्षित माता ज्ञानमती, करूँ वंदामि जोड़कर हाथ।।३।। उन्नीस सौ चौंतीस सन् ईसवी, आश्विन…
गौरवमय हो यह उत्सव संसार सिंधु में तैर रही है, जीवन अपार की सुन्दर नाव, सुख-दुख के हिचकोले खाती, किया स्पर्शित बहत्तर का पड़ाव। स्वर्ण जयंती शुभ बेला में हो रहा, सबको हर्ष परम विशाल, जैन धर्म एवं संस्कृति में, आज गौरवशाली पचास साल। आर्यिका पद पर हो नियुक्त, फिर बढ़ चली पदोन्नति सोपान। जैन…
हे माँ! आप हो भवदधि तारिणी इक माँ होती जनम दायिनी, आप हो माता जन्म सुधारिणी। इक माँ होती काय पोषिणी, आप हो माता भव सुधारिणी।। इक माँ होती स्वार्थ साधिनी, आप हो माँ, स्व पर प्रज्ञायिनी। इक माँ होती भवधार वाहिनी, हे माँ आप हो भवदधि तारिणी।। ज्ञानोपयोग को साकार किया है, अबोधजनों को…