सम्यक्चारित्र.!
[[श्रेणी:धर्म_के_लक्षण]] == सम्यक्चारित्र == दर्शनमोहरूपी अंधकार के नाश (उपशम, क्षय या क्षयोपशम) होने पर सम्यग्दर्शन की प्राप्ति हो जाने से जिसको सम्यग्ज्ञान प्रगट हो गया है, ऐसा भव्यजीव रागद्वेष को नष्ट करने के लिए चारित्र को धारण करता है। जिसका आचरण किया जाता है, वह चारित्र है। पापों की नाली के समान हिंसा, असत्य, चोरी,…