सत्याणुव्रत!
सत्याणुव्रत –अणु अर्थात् एक देशरूप से सत्य बोलने का नियम लेना सत्याणुव्रत होता है ।
सत्याणुव्रत –अणु अर्थात् एक देशरूप से सत्य बोलने का नियम लेना सत्याणुव्रत होता है ।
उद्योगिनी हिंसा –खेती- व्यापार आदि में होने वाली हिंसा उद्योगिनी हिंसा कहलाती है ।
अहिंसाणुव्रत – चार प्रकार की हिंसाओं में जो संकल्पी हिंसा का त्याग करके अपने आचरण को शुद्ध बनाया जाता है , वह अहिंसाणुव्रत कहलाता है ।
आरंभी हिंसा –घर- गृहस्थी के कार्यों में होने वाली हिंसा आरंभी हिंसा कहलाती है ।
धर्म का लक्षण ‘‘जो संसार के दुख से प्राणियों को निकालकर उत्तम सुख में पहुँचाता है, वह धर्म है।’’ ‘‘रत्नत्रय स्वरूप धर्म के ईश्वर ऐसे श्री जिनेन्द्र भगवान सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र को धर्म कहते हैं। इनसे विपरीत मिथ्यादर्शन, मिथ्याज्ञान और मिथ्याचारित्र संसार के कारण होते हैं।’’ सम्यग्दर्शन ‘‘सच्चे देव, शास्त्र, गुरु का तीन मूढ़ता…
प्रशासक प्रशासक (अंग्रेज़ी:ब्यूरोक्रैट्स) वह पद होता है जिस पर जैन एन्च्य्क्लोपेडिया समाज द्वारा असाधारण और विशेष रूप से विश्वसनीय सदस्यों को अधिकार दिया गया होता है। ये सदस्य कुछ विशेष प्रशासकीय अधिकार प्राप्त होते हैं, जिनका प्रयोग ये अन्य सदस्यों के खातों पर कर सकते हैं।प्रशासकों निम्न विशेष अधिकार मिले होते हैं:ये सदस्यों को प्रबंधक…
इष्वाकार Name of four mountains (straight like an arrow). धातकीखंड व पुष्करार्ध द्वीपों की उत्तर-दक्षिण दिशाओं में एक एक पर्वत है इस प्रकार 4 इष्वाकार पर्वत उन द्वीपों को आधे आधे भाग में विभाजित करते है।
व्यंजन – पूजन में चढ़ाये जाने वाले पकवान्न अर्थात् लाडू – बर्फ़ी – रसगुल्ला आदि मिष्टान्न- पकवान्न को व्यंजन कहते हैं|
भरतप्रथम तीर्थंकर भगवान श्री रिषभदेव के प्रथम पुत्र का नाम था – भरत ।ये इस धरती के प्रथम चक्रवर्ती थे । इनके ही नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा है , जोकि सार्थक ही है ।