व्यंजन!
व्यंजन – पूजन में चढ़ाये जाने वाले पकवान्न अर्थात् लाडू – बर्फ़ी – रसगुल्ला आदि मिष्टान्न- पकवान्न को व्यंजन कहते हैं|
व्यंजन – पूजन में चढ़ाये जाने वाले पकवान्न अर्थात् लाडू – बर्फ़ी – रसगुल्ला आदि मिष्टान्न- पकवान्न को व्यंजन कहते हैं|
भरतप्रथम तीर्थंकर भगवान श्री रिषभदेव के प्रथम पुत्र का नाम था – भरत ।ये इस धरती के प्रथम चक्रवर्ती थे । इनके ही नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा है , जोकि सार्थक ही है ।
महापुराण –श्री जिनसेनाचार्य द्वारा रचित महापुराण के दो भाग हैं – १ आदिपुराण २ उत्तरपुराण ।इन दोनों भागों में ६३ शलाका महापुरुषों का चारित्र वर्णित है । अन्य अनेक प्रेरणास्पद कहानियाँ भी इस महापुराण में पढ़ने योग्य हैं । महापुराण के दोनों भाग अपने जीवन में एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए ।
कामदेव –यह एक विशेष पद होता है ।जैन सिद्धान्त में २४ कामदेव होते हैं । इनमें से बाहुबली भगवान प्रथम कामदेव थे ।कामदेव का शारीरिक सौंदर्य संसार में अतुलनीय होता हैं ।
अनादिकाल –जिसका न कोई आदि है और न अन्त है,ऐसे शाश्वत काल को अनादिकाल कहते हैं ।अनादिकाल से इस धरती पर जैनधर्म एवं उसके सर्वोदयी सिद्धान्त चले आ रहे हैं ।जो प्राणिमात्र के लिए हितकारी हैं ।
जिनमंदिरजिस भवन में जिनेंद्र भगवान की प्रतिमाएँ विराजमान रहती हैं, उसे जिनमंदिर कहते हैं ।
णमो लोए सव्व साहूणं – लोक के सर्व साधुओं (साधु परमेष्ठी) को नमस्कार हो |
धर्मतीर्थ परम्परा केवली– जिस दिन वीर भगवान सिद्ध हुए उसी दिन गौतम गणधर केवलज्ञान को प्राप्त हुए पुनः गौतम स्वामी के सिद्ध हो जाने पर उसी दिन श्री सुधर्मास्वामी केवली हुए। सुधर्मास्वामी के मुक्त होने पर जंबूस्वामी केवली हुए। पश्चात् जंबूस्वामी के सिद्ध हो जाने पर फिर कोई अनुबद्ध केवली नहीं रहे। …