तप कल्याणक!
तप कल्याणक –तीर्थंकर भगवान को जब वैराग्य होता है , तब लौकान्तिक देव आकर उनके वैराग्य की प्रशंसा करते हैं और इन्द्र- देवगण आकर बड़े महोत्सव के साथ उनकी दीक्षा कल्याणक का महोत्सव करते हैं ।उसी अवस्था का नाम है- तप कल्याणक ।
तप कल्याणक –तीर्थंकर भगवान को जब वैराग्य होता है , तब लौकान्तिक देव आकर उनके वैराग्य की प्रशंसा करते हैं और इन्द्र- देवगण आकर बड़े महोत्सव के साथ उनकी दीक्षा कल्याणक का महोत्सव करते हैं ।उसी अवस्था का नाम है- तप कल्याणक ।
जन्म कल्याणक –तीर्थंकर भगवान के जन्म के समय सौधर्म इन्द्र अपने परिवार के साथ मध्य लोक आकर सुमेरु पर्वत की पांडुक शिला पर तीर्थंकर शिशु का जन्माभिषेक करके महोत्सव मनाते हैं ” उसी अवस्था का नाम है- जन्म कल्याणक ।
तुंबुरव Ruling demigod of Lord Sumatinath. सुमतिनाथ भगवान का शासक यक्ष (तुंबुरू देव)।
विद्वान भारत डा. हुकमचन्द जैन जैन विद्या विभाग एवं प्राकृत विभागाध्यक्ष फोन:-0294-2490231, मो.:-098295-80776 बी-19, वर्द्धमान नगर, उत्तरी सुन्दरवास, उदयपुर-313001(राज.) पं. जवाहरलाल जैन फोन: 0294-2482667 46, सर्वऋतु विलास, दि. जैन महावीर भवन के पास, उदयपुर-313001 (राज.) श्री ज्योतिबाबू जैन ‘शास्त्री’ फोन: 0141-2730552 21, सर्वऋतु विलास, उदयपुर- (राज.) विधानाचार्य-श्री दि.जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, वीरोदय नगर, सांगानेर-303 902…
विद्वान भारत प्रो. (डा.) अशोक कुमार जैन भौतिक शास्त्र प्राध्यापक-भौतिकी, फोनः01332-274144(नि.), फैक्स: 1332 – 273560 ए-10, हिलव्यू अपार्ट., 285753) आई.आई.टी. रुड़की-247667 (उत्तरांचल) पं. नरेन्द्र कुमार जैन शास्त्री प्रतिष्ठा, सूचना विज्ञान एवं अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक- धर्म-दर्शन व वास्तु शास्त्र ई.एस.एस.आई इन्स्टीटयूट फोनः01332-265066(नि.)मो.: 09997245347 35/6, आई.आई.आई.कालोनी, निकट-जैन धर्मशाला,बी.टी.गंज, रुड़की-247667 (उत्तरांचल) इंजी.श्री सुल्तानसिंह जैन सिविल, विद्युत यांत्रिकी…
विद्वान भारत डा. कमल कुमार जैन प्राकृत, जैन विद्या पांडुलिपि संपादक- प्राकृत शब्दकोश परियोजना विभाग भण्डारकर ओरियन्टल रिसर्च 812, शिवाजी नगर Email:kamalkumarjain@gmaail.com पुणे-411004 (महा.) डा. ममता जैन ई-801, डैफोडिन्स मगर पट्टा सिटी फोनः020-268898985, मो.:-09970-79098 Email:mamtajain13in@hotmail.com पुणे- 411028
विद्वान भारत प्रो.(डा.) भागचन्द्र जैन ‘‘भास्कर’’ जैन धर्म, बौद्ध धर्म एवं कस्तूरबा वाचनालय के पास, प्राचीन भारतीय संस्कृति तुकाराम चाल, सदर बाजार, फोनः0712-2541726(नि.) मो.: 34213 63926 नागपुर-440 001(महा.) डा. (श्रीमती) कुसुम पटोरिया जैन दर्शन, यापनीय संघ, साहित्य द्वारा-श्री राजेन्द्र पटैरिया मो.:-094217-79906, फोन: 0712-2520327 आजाद चैक, सदर बाजार, नागपुर-440001 (महा.) श्री मनोहर मारवडकर अध्यात्म एवं न्याय…
कर्म आस्रव के कारण कर्मों के आने के द्वार को आस्रव कहते हैं। इसके दो भेद हैं— पुण्यास्रव और पापास्रव। अर्हंत भक्ति, जीवदया आदि क्रियारूप शुद्धयोग से पुण्यास्रव और जीविंहसा झूठ आदि क्रियारूप अशुभयोग से पापास्रव होता है। ज्ञानावरण कर्म के आस्रवके कारण—ज्ञानी से ईष्र्या करना, ज्ञान के साधनों में विघ्न डालना, अपने ज्ञान को…
आत्मा का स्वभाव सुधा— भादों की अनंत चतुर्दशी को मेरी मां ने मुझे जबरदस्ती उपवास कराया और जब मैं भूख-प्यास की बाधा से रात्रि में बहुत घबराने लगी, तब मां बोली कि बेटी! तुम यह भावना करो कि शरीर भिन्न है और आत्मा भिन्न है। आत्मा को भूख-प्यास नहीं लगती है। ऐसी भावना करने से…
श्रावक के भेद श्रावक के ३ भेद हैं— पाक्षिक, नैष्ठिक और साधक। ‘किसी भी निमित्त से मैं संकल्पपूर्वक त्रस हसा का घात नहीं करूंगा’ इस प्रकार की प्रतिज्ञा करके, मैत्री आदि भावनाओं से सहित होते हुए हसा का त्याग करना पक्ष कहलाता है। इस पक्ष कर सहित श्रावक पाक्षिक कहलाता है। यह अष्ट मूलगुण और…