न्यायशास्त्र और जैन न्याय -सिद्धान्ताचार्य पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री न्यायशास्त्र को तर्वशास्त्र, हेतुविद्या और प्रमाणशास्त्र भी कहते हैं, किन्तु इसका प्राचीन नाम आन्वीक्षिका है। कौटिल्य ने (३२७ ई. पूर्व) अपने अर्थशास्त्र में आन्वीक्षिका, त्रयी, वार्ता और दण्डनीति, इन चार विद्याओं का निर्देश किया है और लिखा है कि त्रयी में धर्म-अधर्म का, वार्ता में अर्थ-अनर्थ का…
क्षुल्लक दीक्षा विधि अथ लघुदीक्षायां सिद्ध-योगि-शान्ति-समाधिभक्ती: पठेत्। ‘‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं अर्हं नम:’’ अनेन मंत्रेण जाप्यं वार २१ अथवा १०८ दीयते। अन्यच्च विस्तारेण लघुदीक्षाविधि:-अथ लघुदीक्षानेतृजन: पुरुष: स्त्री वा दाता संस्थापयति। यथा-योग्यमलंकृतं कृत्वा चैत्यालये समानयेत्, देवं वंदित्वा सर्वै: सह क्षमां कृत्वा गुरोरग्रे च दीक्षां याचयित्वा तदाज्ञया सौभाग्यवतीस्त्रीविहित-स्वस्तिकोपरि श्वेतवस्त्रं प्रच्छाद्य तत्र पूर्वाभिमुख: पर्यंकासनो गुरुश्चोत्तराभिमुख: संघाष्टवं संघं…
उपाध्याय दीक्षा विधि चतुर्विध संघ में जो मुनि पढ़ाने में कुशल हैं। चारों अनुयोगों में कुशल-निष्णात हैं। अनेक मुनि, आर्यिका, क्षुल्लक, क्षुल्लिका आदि को पढ़ाते हैं, प्रौढ़ हैं। वय में भी बड़ी उम्र के हैं। ऐसे मुनि को आचार्यदेव उपाध्याय पद प्रदान करते हैं। उसी की विधि यहाँ आगम के अनुसार दी जा रही है। …
अथाचार्यपदस्थापन विधि सुमुहूर्ते दाता शान्तिकं गणधरवलयार्चनं च यथाशक्ति कारयेत्। तत: श्रीखंडादिना छटादिकं कृत्वा आचार्यपदयोग्यं मुनिमासयेत्। आचार्यपद-प्रतिष्ठापनक्रियायां इत्याद्युच्चार्य सिद्धाचार्यभक्ती पठेत्। ‘‘ॐ ह्रूं परमसुरभि-द्रव्यसन्दर्भपरिमलगर्भतीर्थाम्बुसम्पूर्णसुवर्णकलशपंचकतोयेन परिषेचयामीति स्वाहा’’ इति पठित्वा कलशपंचकतोयेन पादोपरि सेचयेत्। तत: पंडिताचार्यो ‘‘निर्वेद सौष्ठ’’ इत्यादि महर्षिस्तवनं पठन् पादौ समंतात्परामृश्य गुणारोपणं कुर्यात्। तत: ॐ ह्रूँ णमो आइरियाणं आचार्यपरमेष्ठिन्! अत्र एहि एहि संवौषट् आवाहनं स्थापनं सन्निधीकरणं। ततश्च ‘‘ॐ…
अन्यदातनलोचक्रिया (दीक्षा के अनंतर अन्य समय में केशलोंच करने की क्रिया) लोचो द्वित्रिचतुर्मासैर्वरो मध्योऽधम: क्रमात्। लघुप्राग्भक्तिभि: कार्य: सोपवासप्रतिक्रम:।। अथ लोचप्रतिष्ठापनक्रियायां………सिद्धभक्तिकायोत्सर्गं करोम्यहं (९ बार णमोकार मंत्र का जाप्य करके) ‘तवसिद्धे’ इत्यादि लघु सिद्धभक्ति पढ़ें।अथ लोचप्रतिष्ठापनक्रियायां……..योगिभक्तिकायोत्सर्गं करोम्यहं (९ बार णमोकार मंत्र का जाप्य करके) ‘‘प्राभृटकाले’’ इत्यादि लघु योगिभक्ति पढ़ें। अनन्तरं स्वहस्तेन परहस्तेनापि वा लोच: कार्य: अर्थात् आपके…
[[श्रेणी:मुनिदीक्षा_विधि]] == दीक्षा के नक्षत्र प्रणम्य शिरसा वीरं जिनेन्द्रममलव्रतम्। दीक्षा ऋक्षाणि वक्ष्यन्ते सतां शुभफलाप्तये।।१।। भरण्युत्तरफाल्गुन्यौ मघा-चित्रा-विशाखिका:। पूर्वाभाद्रपदा भानि रेवती मुनिदीक्षणे।।२।। रोहिणी चोत्तराषाढा उत्तराभाद्रपत्तथा। स्वाति: कृत्तिकया सार्धं वज्र्यते मुनिदीक्षणे।।३।। अश्विनी-पूर्वाफाल्गुन्यौ हस्तस्वात्यनुराधिका:। मूलं तथोत्तराषाढा श्रवण: शतभिषक्तथा।।४।। उत्तराभाद्रपच्चापि दशेति विशदाशया:। आर्यिकाणां व्रते योग्यान्युशन्ति शुभहेतव:।।५।। भरण्यां कृत्तिकायां च पुष्ये श्लेषार्द्रयोस्तथा। पुनर्वसौ च नो दद्युरार्यिकाव्रतमुत्तमा:।।६।। पूर्वभाद्रपदा मूलं धनिष्ठा च विशाखिका।…
रामचरित्र – Ramacaritra Name of a religious book written by Brahma Jindas ब्रह्म जिनदास कृत एक ग्रंथ, समय – 14 वी शताब्दी