श्रुतपंचमी पर्व ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी को आता है ,इस दिन षटखंडागम ग्रन्थ की रचना पूर्ण हुए थी,और इस तिथि को श्रुत की विशेष आराधना की जाती है |
इस मोह के निमित्त से दु:ख सहन करता हुआ मनुष्य चौरासी लाख योनियों में भटक रहा है।
यह जैन का मूलमंत्र हैं इस मंत्र से 84 लाख मंत्रों की उत्पत्ति हुई है इसे मात्रृका मंत्र भी कहते है
इस मंत्र में 5 पद ,35अक्षर, 58 मात्राएँ होती हैं|
जो मुनि दर्शन, ज्ञान, चारित्र और तपोविनय में सदा लीन रहते हैं वे ही वंदनीय हैं।
मुनि के पांच भेद होते है पुलाक ,वकुश ,कुशील ,निर्ग्रन्थ ,स्नातक |
ये मुनि सदा स्वाध्याय,ध्यान ,अघ्ययन आदि में निमग्न रहते है और अपने 28 कायोत्सर्गों का सदा पालन करते है