36. जैनधर्म का कर्म सिद्धान्त
जैनधर्म कर्म सिद्धान्त पर आधारित है जैन सिद्धान्त के अनुसार समय की परिभाषा अत्यन्त सूक्ष्म बताई है। एक आवली मात्र में असंख्यात समय माने हैं। प्रत्येक जीवात्मा में प्रतिसमय कर्म के परमाणु आते रहते हैं। गोम्मटसार कर्मकांड में आचार्यश्री नेमिचन्द्र सिद्धांतचक्रवर्ती ने कहा है- सिद्धाणंतिम भागं अभव्वसिद्धादणंत गुणमेव।समयपबद्धं बंधदि जोगवसादो दु विसरित्थं।। अर्थात् यह आत्मा...