दिगम्बर-श्वेताम्बर परम्परा में भगवान महावीर श्वेताम्बर परम्परा की मान्यता दिगम्बर परम्परा की मान्यता 1. महावीर पहले देवानंदा नामक ब्राह्मणी के गर्भ में आये पुनः इन्द्र ने उनका गर्भपरिवर्तन करके रानी त्रिशला के गर्भ में स्थापित किया। 1. भगवान महावीर ने त्रिशला के गर्भ में ही अवतार लिया। 2. बिहार प्रान्त के ‘लिछवाड़’ ग्राम…
मानव क्लोनिंग (Human Cloning) क्लोनिंग अर्थात् प्राणी प्रतिलिपीकरण किसी भी जीव के गुणों का निर्धारण उसकी इकाई कोशिकाओं के अंदर स्थित गुणसूत्रों के द्वारा होता है। विभिन्न विकसित प्राणी लैंगिक प्रजनन की विधि द्वारा अपनी संतानों को उत्पन्न करते हैं जिसमें नर एवं मादा की जनन कोशिकाओं के आधे-आधे गुणसूत्र मिलकर एक नयी रचना करते…
छन्द विज्ञान एवं कतिपय छन्दों के प्रयोग साहित्य रचना में जिस प्रकार रस, अलंकार, व्याकरण आदि आवश्यक अंग होते है उसी प्रकार ‘‘छंद’’ शास्त्र का भी साहित्य रचना में अपना महत्वपूर्ण स्थान है। साहित्य को दो भागों में पाया जाता है- एक गद्यरूप और दूसरा पद्यरूप। दोनों ही रचनाएं प्राचीन काल से चली आ रही…
बहत्तर कलाएँ एवं चौंसठ लिपियाँ जीवन को ज्ञान विज्ञानमय सहज, सरल, सुन्दर एवं रस पूरित बनाने के लिए गहन तत्त्वज्ञान के साथ—साथ कला का ज्ञान होना अनिवार्य है। संसारी जीव प्रतिदिन के तनावपूर्ण व्यस्त जीवन को लालित्य कला के माध्यम से सहज—सरल—सुन्दर—सरसरूप बनाते हैं। संगीत आदि कला से तनाव, मानसिक रोग, शारीरिक रोग दूर होने…
गृहस्थ धर्म (Grahasth Dharm) जो पुरूष देवपूजा, गुरूपास्ति, स्वाध्याय, संयम, तप, और दान इन षट्कर्मों के करने में तल्लीन रहता है, जिसका कुल उत्तम है वह चूली, उखली, बुहारी आदि गृहस्थ की नित्य षट् आरम्भ क्रियाओं से होने वाले पाप से मुक्त हो जाता है वही उत्तम श्रावक कहलाता हैं। जो भव्य बिंबाफल के समान…