अष्टसहस्री (Ashtsahastri)
अष्टसहस्री (Ashtsahastri) आचार्य समन्तभद्र द्वारा रचित आप्तमीमांसा अपरनाम देवागमस्तोत्र की एक वृत्ति अष्टशती आचार्य श्री अकलंकभट्ट ने रची थी। उस पर ही आचार्य विद्यानन्द ने ८००० श्लोक प्रमाण वृत्ति रची (ई ७७५-८४०) । यह कृति इतनी गम्भीर एवं कङ्गिन है कि बड़े-२ विद्वान भी इसे अष्टसहस्री की बजाय कष्टसहस्री कहते हैं। लोहे के चने चबाने…