01.6 सम्यक् चारित्र
सम्यक् चारित्र मोक्षमार्ग की साधना का तीसरा चरण चारित्र है। चारित्र के दो रूप माने गये हैं—निश्चयचारित्र और व्यवहारचारित्र। निश्चय चारित्र निवृत्तिमूलक है और व्यवहारचारित्र प्रवृत्तिपरक। चारित्र का बाह्य आचारात्मक पक्ष व्यवहारचारित्र है और उसका आन्तरिक पक्ष निश्चयचारित्र है। निश्चयचारित्र का अर्थ है–समस्त राग—द्वेषादि वैभाविक भावों से रहित होकर परम साम्यभाव में अवस्थिति। यह आत्मरमण...