चौबीस तीर्थंकर गणधर पूजा
चौबीस तीर्थंकर गणधर पूजा अथ स्थापना गीता छंद गणधर बिना तीर्थेश की, वाणी न खिर सकती कभी। निज पास में दीक्षा ग्रहें, गणधर भि बन सकते वही।। तीर्थेश की ध्वनि श्रवणकर, उन बीज पद के अर्थ को। जो ग्रथें द्वादश अंगमय, मैं जजूँ उन गणनाथ को।।१।। ॐ ह्रीं चतुर्विंशतितीर्थंकरगणधरसमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट्…