समवसरण दर्शन करो!
समवसरण दर्श्ना करो, तो भव्य कहलाओगे…… तर्ज—तुम तो ठहरे परदेशी समवसरण दर्श्ना करो, तो भव्य कहलाओगे। यदि तुम अभव्य हुए तो दर्श नहीं पाओगे।। टेक.।। प्रभु जी की धर्म सभा, में जो भी आता है। तुम भी दिव्यध्वनि को सुनो, तो भव से तिर जाओगे।। समवसरण……।।१।। गूँगे भी वहाँ जाकर, बोलने लग जाते हैं।…