तत्त्वार्थसूत्र भजन प्रथम अध्याय!
भजन-१ प्रथम अध्याय तर्ज—हे वीर तुम्हारे द्वारे पर……… हे वीतराग सर्वज्ञ देव! तुम हित उपदेशी कहलाते। तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, श्री उमास्वामि तव गुण गाते।।टेक.।। संसार दुखों से घबराकर, इक मानव हितपथ ढूंढ़ रहा। निग्र्रन्थ दिगम्बर गुरु को लख-कर प्रश्न एक वह पूछ रहा।। आत्मा का हित कैसे होता, कैसे प्राणी निजसुख पाते।…