भक्ति-मुक्तक!
भक्ति-मुक्तक गणिनी माता ज्ञानमती, इतिहास बनीं धरती का। दीक्षा स्वर्ण महोत्सव उनका, करेगी अब धरती माँ।। सोने से भी अधिक चमकशाली है जीवन इनका। हीरे से भी अधिक मूल्य, करती हैं जो क्षण-क्षण का।।१।। मेरा भी सौभाग्य खिला, जो पाई ऐसी गुरु छाया। कहीं न मिल पाएगा जो, अनमोल रतन मैंने पाया।। ब्रह्मचर्य व्रत माता…