आओ बंधु! तुम्हें बताएँ, परिचय प्रथमाचार्य का!
आवो बन्धू! तुम्हें बताएँ तर्ज-आओ बच्चों…………………. आवो बन्धू! तुम्हें बताएँ, परिचय प्रथमाचार्य का। श्री चारित्रचक्रवर्ती, शांतीसागर आचार्य का।। वन्दे गुरुवरं, वन्दे मुनिवरं-वंदे गुरुवरं, वंदे मुनिवरम्।।टेक.।। देव-शास्त्र-गुरु भक्त युवक थे, श्री सातगौंडा पाटिल। मात-पिता की सेवा करके, जीत लिया था उनका दिल।। कहते हैं उनके जीवन में, धैर्य व शौर्य अपार था। श्री…