मिल गया मानव जनम, भव भव के पुण्य प्रताप से!
मिल गया मानव तर्ज—सन्त साधू…………………… मिल गया मानव जनम, भव भव के पुण्य प्रताप से, नाथ! अब सद्बुद्धि दे दो, छूट जाऊँ पाप से।। टेक.।। जीव के संग कर्म का, सम्बन्ध काल अनादि से। इस ही क्रम से चल रहा, संसार द्वन्द अनादि से।। मात्र नरतन से ही हो, सकता है द्वन्द…