मध्यलोक के चार सौ अट्ठावन जिनमंदिर की आरती
मध्यलोक के चार सौ अट्ठावन जिनमंदिर की आरती तर्ज—मन डोले.......... जय सिद्ध प्रभो, अरहंत प्रभो, अकृत्रिम जिनवर धाम की, मैं आज उतारूँ आरतिया।टेक.। मध्यलोक में चार शतक, अट्ठावन जिन चैत्यालय। जिनप्रतिमा से शोभित सुन्दर, सौख्य सुधारस आलय।।प्रभू जी.।। प्रभु दर्श करो, स्पर्श करो, शुभ चरणधूलि भगवान की, मैं आज उतारूँ आरतिया।।१।। तीन छत्रयुत श्रीजिनप्रतिमा,...