पंचमेरू विधान की आरती
पंचमेरू विधान की आरती ॐ जय श्री मेरुजिनं, स्वामी जय श्री मेरुजिनं। ढाई द्वीपों में हैं-२, पंचमेरु अनुपम।।ॐ जय.।। मेरु सुदर्शन प्रथम द्वीप के, मध्य विराज रहा।स्वामी.। सोलह चैत्यालय से-२, स्वर्णिम राज रहा।।ॐ जय.।।१।। पूर्वधातकी खण्ड द्वीप में, विजय मेरु शाश्वत।स्वामी.। ऋषिगण वंदन करने जाते-२, पीते परमामृत।।ॐ जय.।।२।। अपर धातकी अचलमेरु से, सुन्दर शोभ रहा।स्वामी.।...