कालसर्पहर श्री पार्श्वनाथ विधान
जैनधर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जीवन एक विशेष इतिहास को लिए हुए हैं ,वर्तमान में संसारी प्राणियों के जीवन में कालसर्प योग दोष को दूर करने हेतु यह ”कालसर्पहर श्री पार्श्वनाथ विधान”’की रचना की है |
इस विधान में सर्वप्रथम मंगलाचरणकरते हुए पार्श्वनाथ भगवान का स्तोत्र हैं जिसमें पार्श्वनाथ का पूरा जीवन परिचय समाहित हैं स्तोत्र आदि के पश्चात सभी प्रकार के दुष्ट ग्रहों को दूर करने के लिए कलिकुंड पार्श्वनाथ भगवान की पूजा है |यह कालसर्पहर श्री पार्श्वनाथ विधान सभी दोषों को दूर करने वाला हैं |