ज्ञानसुधामृत १. सर्वोच्च नारीरत्न यूँ तो कई एक महापुरुषों से भारत का मस्तक ऊंचा| पर जीवन के हर क्षेत्र में नारी का अद्भुत सहयोग रहा || नारी समाज में सर्वश्रेष्ठ आदर्श रूप तेरा अनुपम | तेरे व्यक्तित्व की दिव्य चमक खिल उठा त्याग का नया चमन || २. ज्ञान की सरिता ज्ञानमती हे ज्ञान की…
पुरषार्थ सिद्ध्युपाप में वर्णित निश्चय और व्यवहार नय डॅा॰ अशोककुमार जैन जीवादि तत्व अनेकान्तात्मक हैँ इसलिए जिनेन्द्रदेव ने उनकी प्ररूपणा निश्चय ओर व्यवहारनयों के आश्रय से की है। गुरु भी शिष्यों के अज्ञान की निवृत्ति के लिए निश्चय और व्यवहारनयों का अवलम्बन कर वस्तु स्वरूप का विवेचन करते हैं जैसा कि आचार्य अमृतचन्द्र ने लिखा…
१.रवि ग्रह २.सोम ग्रह ३.मंगल ग्रह ४.बुध ग्रह ५.गुरु ग्रह ६.शुक्र ग्रह ७.शनि ग्रह ८.राहु ग्रह और ९.केतु ग्रह !
जम्बूद्वीप णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।। अनादिसिद्ध अनंतानंत आकाश के मध्य में चौदह राजू ऊँचा, सर्वत्र सात राजू मोटा, तलभाग में पूर्व पश्चिम सात राजू चौड़ा, घटते हुए मध्य में एक राजू चौड़ा, पुन: बढ़ते हुए ब्रह्म स्वर्ग तक पांच राजू चौड़ा और आगे घटते-घटते सिद्धलोक के पास एक…