श्री सरस्वती नाम स्तोत्रम्
श्री सरस्वती नाम स्तोत्रम् (अनुष्टुप् छंद) 1)सरस्वत्याः प्रसादेन, काव्यं कुर्वन्तु मानवा:। तस्मान्निश्चल-भावेन , पूजनीया सरस्वती।।१।। अर्थ:-श्री सरस्वती के प्रसाद से सभी मनुष्य काव्य को पूर्ण करते हैं, इसलिए वह सरस्वती देवी निश्चलभाव से सदा पूजनीय है। 2)श्री सर्वज्ञ मुखोत्पन्ना, भारती बहुभाषिणी। अज्ञानतिमिरं हन्ति, विद्या-बहुविकासिनी।।२।। अर्थ:-जो श्रीसर्वज्ञ वीतराग प्रभु के मुख-कमल से उत्पन्न हुई है, जो...