गुरु वन्दना
गुरु वन्दना दोहा तीर्थंकर शिष्यत्व का, जिन्हें मिला सौभाग्य। नमूँ नमूँ उनको सदा, उन्हें मुक्ति सुखसाध्य।।१।। शखरिणी छंद नमूँ अर्हन्मुद्रा नगनतन दिग्वस्त्र धरते। नमूँ तीर्थंकर के निकट व्रत दीक्षादि धरते।। नमूँ संयम शील प्रभृति बहुयोगादि धरते। सदा ध्याते आत्मा समरस सुधास्वाद चखते।।२।। अहो स्वात्मा नंते दरश सुख ज्ञानादि सहिता। अनादी से शुद्धा करम मल दोषादि...