प्रस्तावना…!
प्रस्तावना ऊँ नम: सिद्धेभ्य: श्रीमन्तं वर्धमानेशं भारतीं गौतमं गुरुम्। नत्वा वक्ष्ये तिथीनां वै निर्णयं व्रतनिर्णयम्।।१।। अर्थ —श्रीमन्त—अनन्तचतुष्टयरूप अन्तरंगश्री और समवसरण आदि विभूति रूप बहिरंग श्री से युक्त भगवान् महावीरस्वामी को, जिनवाणी को—सरस्वती रूप दिव्यध्वनि को एवं गुरु गौतम गणधर को नमस्कार कर निश्चय से व्रत निर्णय और तिथिनिर्णय को कहता हूँ। श्रीपद्मनन्दिमुनिना पद्मदेवेन वाऽपरा। हरिषेणेन…