इंद्रिय!
इंद्रिय Organs of sense. जो सूक्ष्म आत्मा के अस्तित्व का ज्ञान कराने में सहायक हो। इन्द्रिय के पाँच भेद हैं-स्पर्शन घ्रान चक्षु और कर्ण।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
इंद्रिय Organs of sense. जो सूक्ष्म आत्मा के अस्तित्व का ज्ञान कराने में सहायक हो। इन्द्रिय के पाँच भेद हैं-स्पर्शन घ्रान चक्षु और कर्ण।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गंधव्यास A summit (koot) of Gajdant mountain. गजदन्त पर्वत का एक कूट ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आप्तोपज्ञ Auspicious preachings of Lord-Arihant. सच्चे देव-आप्त का कहा हुआ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजकथा – विकथा के 25 भेदो मे से एक भेद, राजाओं एवे उनकी राजव्यवस्था आदि से सम्बन्धित चर्चा करना। Rajakatha-Gossip pertaining to King & kingdom
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगशल्य – षल्य का एक भेद, असंयम में प्रवृत्ति होना। Yogasalya-uncontrolled conduct (A type of Sting)
इंद्र त्याग (क्रिया) An auspicious and sacred act (reg. peaceful renouncement of all heavenly splendours by Indra for holy death). गर्भान्वयादि क्रियाओं में से एक क्रिया इन्द्र द्वारा आयु के अन्त में शांतिपूर्वक समस्त वैभव का त्याग कर तथा देवों को उपदेश देकर देवलोक से च्युत होना। यह इन्द्रपद त्याग क्रिया है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रैन मंजुशा – हंसद्वीप के राजा कनककेतू की पुत्री का नाम। सहस्त्रकूट चैत्यालय के कपाट खोलने से श्रीपाल से विवाही गई थी। Raina Manjusa-The daughter of king Kanakaketu of Hansdvip (island)
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीदत्त – Shreedatta. Name of a great Acharya of the basic lineage of Lord Mahavira, Name of another Acharya-the writer of ‘Jalp Nirnay Granth’. भगवान महावीर की मूल परम्परा में लोहाचार्य के बाद हुए एक अंगधारी आचार्य (समय ई. 38-58)” एक प्रसिद्ध तार्किक दिगम्बराचार्य, जल्प निर्णय ग्रन्थ के रचयिता (समय-ई. श. 4 का उतरार्ध)…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नराशि – चमकते हुए रत्नो का ढेर जो कि तीर्थकर की माता को 15 स्वप्न के रूप् मे दिखाई देते है जिसका अर्थ पुत्र गुणों की खान होगा। Ratnarasi- Sparkling jewels (the 15th dream mark of lord’s mother)