शिवनंदि!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिवनंदि – Shivanandi. Name of a Bhattarak of Nandi group. नंदिसंघ बलात्कारगण वारां (राजस्थान) की गद्दी के एक भट्टारक ” समय- वि. 1148 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शिवनंदि – Shivanandi. Name of a Bhattarak of Nandi group. नंदिसंघ बलात्कारगण वारां (राजस्थान) की गद्दी के एक भट्टारक ” समय- वि. 1148 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नीच – Neecha. People from low caste, low-caste group. निम्न, नीच गोत्र व नीच कुल आदि “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रह्मचर्य प्रतिमा – Brahmacarya.Pratima. Seventh model stage of celibacy of Jaina lay- follower. श्रावक की सातवीं प्रतिमा; इसमें श्रावक स्त्रीमात्र का त्याग होकर पूर्ण ब्रह्मचर्य से रहता है ” इसका धारक श्रावक अपने पुत्र – पुत्रियों के विवाह के अतिरिक्त अन्य किसी के विवाह की अनुमोदना नहीं करता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वचन विवेक –Vachan Vivek : Wishful speaking ,Conscious speech. विवेक का एक भेद ;क्रोधादि कषाय उत्पन्न होने पर मैं मारूंगा इत्यादि वचन का प्रयोग न करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तपान संयोजना – Bhaktapana Samyojana. Mixing of edibles (reg. green veg. & sterilized material). अजीवाधिकरण का एक भेद; सचित और अचित खानपान को एक दूसरे में मिलाना “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सूक्ष्म कषाय : == कौसुम्भ: यथा राग:, अभ्यन्तरत: च सूक्ष्मरक्त: च। एवं सूक्ष्मसराग:, सूक्ष्मकषाय इति ज्ञातव्य:।। —समणसुत्त : ५५९ कुसुम्भ के हल्के रंग की तरह जिनके अन्तरंग में केवल सूक्ष्म राग शेष रह गया है, उन मुनियों को सूक्ष्म—सराग या सूक्ष्म—कषाय जानना चाहिए।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वचन (सत्प्रतिषेध) – Vachan (Satpratisedha).: Speech with negation of truth. असत्य वचन के 4 भेदों में प्रथम भेद; अस्तित्वरूप पदार्थ का निषेध करना ” जैसे – मनुष्यों की अकाल में मृत्यु नहीं हैं ऐसा कहना “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सत्य : == अकिंहतस्स वि जह गहवइणो जगविस्सुदो तेजो। —भगवती आराधना : ३६१ अपने तेज का बखान नहीं करते हुए भी सूर्य का तेज स्वत: जगविश्रुत है। सच्चं जसस्स मूलं, सच्चं विस्सासकारणं परमं। सच्चं सग्गद्दारं सच्चं, सिद्धीइ सोपाणं।। —धर्मसंग्रह टीका : २-२६ सत्य यश का मूल कारण है।…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निष्कांक्षित – Nishkaankshita. See – Nihkaamkshita. देखें – निःकांक्षित “