तैजस संघात नामकर्म!
तैजस संघात नामकर्म Karmic nature causing luminous body. जिसके उदय से तैजस वर्गणाएं परस्पर छेद रहित एकमेक हो जाएं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
तैजस संघात नामकर्म Karmic nature causing luminous body. जिसके उदय से तैजस वर्गणाएं परस्पर छेद रहित एकमेक हो जाएं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूत्र – Sutra. Origin, formulae, a source (of information), a precept, A type of code regulating conduct & behaviour, A type of scriptural knowledge. जो अल्प अक्षरों से संयुक्त है, सन्देह से रहित है, परमार्थ सहित है एवं जो ग्रन्थ, तन्तु और व्यवस्था इन तीन अर्थो को भेले प्रकार से सूचित करता है उस…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पीठ – Pitha. Back of the body, Throne, a seat, Name of the 10th Rudra. हिन्दी भाषा में शरीर के पृष्ट भाग व संस्कृत भाषा में आसन, सिंहासन को पीठ कहते हैं. दसवें रूद्र का नाम “
तेजस्वी Lustrous bodied beings, A king of Ikshvaku dynasty, A chief disciple of Lord Adinath. शारीरिक एंव आत्मिक प्रभा से युक्त जीव, इक्ष्वाकुवंश का एक राजा, आदिनाथ भगवान का एक गणधर। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म भाषा – Sukshma Bhaashaa. Internal speech (inner voice). शब्दाद्वैतवादी द्वारा मानी गई 4 प्रकार की वाणी में एक भेद । क्षयोपशम से प्रगटी आत्मा की अक्षर को ग्रहण करने की तथा कहने की शक्ति रूप लब्धि । जैन मतानुसार इसे लब्धि रूप भाव वचन स्वीकारा गया है ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिपासा परीषह – Pipasa Parisaha. Affliction of thirst. २२ परीषहों में एक परीषह; साधुओ का खेद रहित होकर प्यास की बाधा को सहना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुक्ष्म निगोध – Sukshma Nigoda. See- Nigoda Suksma. देखे – निगोध सुक्ष्म ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिंडशुध्दि – Pimdasuddhi. Super purity of food, Human body with pescribed racial purity. आहार शुध्दि; मुनि ४६ दोष, ३२ अन्तराय, १४ मल दोष रहित भोजन ग्रहण करते हैं. शरीर शुध्दि; जाति व कुल शुध्दि से युक्त मानव शारीर “
तनुरक्षक देव Attendant deities of Indras. इंद्र की सेवा में रहने वाले अंगलक्षक जाति के देव। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यायरत्नाकमाला – Nyaayaratnamaalaa. Name of a book written by Parthsarthi Mishra. मीमांसा दर्शन साहित्य प्रवर्तक पार्थसारथिमिश्र द्वारा रचित एक ग्रंथ “