विभ्रम!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभ्रम – Vibhrama. Confusion, Agitation. व्स्तुस्वरूप का अज्ञानपना ही विभ्रम है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभ्रम – Vibhrama. Confusion, Agitation. व्स्तुस्वरूप का अज्ञानपना ही विभ्रम है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसुमित्र – Vasumitra.: Name of the 36th chief disciple of Lord Rishabhdev,Name of the chieftain of Shak dynasty. तीर्थंकर ऋषभदेव के 36वें गणधर “मगध देश की राज्य वंशावली अनुसार यह शक जाति का सरदार था ,अपरनाम बलमित्र अग्रिमित्र का समकालीन था ,समय –वी. नि. 285-345 “
उभयोदयबंधी प्रकृति Numerous space points in bilateral extremes . जो कर्म प्रकृति अपना उदय होने अथवा न होने पर भी बंधती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
त्रिकाली पर्याय Practice of equanimity three times a day. तीन कालों में क्रम से होने वाली अनंत पर्यायें ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विलास – Vilasa. Flirthing, Merriment, enjoyment. आनंद, मनोरंजन “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसंत – Vasanta. : Another name of Sumeru mountain. सुमेरुपर्वत का अपरनाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नादग्रह – Nadagraha A part of the palace of deities भवनवासी देवों के भवनों में एक कक्ष ”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == शिथिलाचारी : == सन्त्येकेभ्यो भिक्षुभ्य:, अगारस्था: संयमोत्तरा:। अगारस्थेभ्य सर्वेभ्य:, साधव: संयमोत्तरा:।। —समणसुत्त : २९८ यद्यपि शुद्धचारी साधुजन सभी गृहस्थों से संयम में श्रेष्ठ होते हैं तथापि कुछ (शिथिलाचारी) भिक्षुओं की अपेक्षा गृहस्थ संयम में श्रेष्ठ होते हैं।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्षलक्ष – Varshalaksha.: A time period of 1 lac years. काल का प्रमाण; वर्षशतसहस्त्र (एक लाख वर्ष ) “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पृथत्त्क्व व्यवहार – Prthaktva Vyavahara. Nature of unity in diversity. व्यवहार का एक भेद; जहाँ पर भिन्न द्रव्यों में एकता का संबंध दिखाया जाता है उसे पृथत्त्क्व व्यवहार कहते हैं “