द्रव्य युति!
द्रव्य युति State of the unity of matters.समीपता या संयोग का नाम युति है जीवयुति, पुद्गलयुति और जीवपुद्गलयुति के भेद से द्रव्य युति तीन प्रकार की है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्रव्य युति State of the unity of matters.समीपता या संयोग का नाम युति है जीवयुति, पुद्गलयुति और जीवपुद्गलयुति के भेद से द्रव्य युति तीन प्रकार की है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वशार्तमरण – Vashaartamaran.: A kind of death of one under all worldly panic desires. आर्त्त रौद्र ध्यान सहित मरण ” यह 4 प्रकार का है – इन्द्रियवशार्त, वेदनावशार्त, कषायवशार्त और नोकषायवशार्त “
द्रव्य पर्याय आरोप Treatment of model appearance (Paryaya) into matter and matter into model appearance. अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय से द्रव्य में पर्याय का और पर्याय में दव्य का उपचार करना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्मिला – Varmilaa.: Another name of mother of Lord Parshvanath. भगवान् पार्श्वनाथ की माता वामा देवी का अपरनाम ” इनका एक नाम ब्राह्मी भी आता है “
द्रव्यत्व Substantiality. द्रव्य के 6 सामान्य गुणों में एक जिस शक्ति के निमित्त से द्रव्य हमेशा एकसा नहीं रहता, उसकी पर्यायें हमेशा बदलती रहती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सोमदत्त – Somadatta. Name of the 8th chief disciple of Lord Rishabhnath. Name of a particular person of Jaina History. तीर्थकर वृषभनाथ के 8 वें गणधर । एक सेठ जिन्होंने जिनदत्तसेठ से आकाशगामिनी वि़द्या को सिद्ध करने का उपाय सीखा, परन्तु अस्थिर चित्त के कारण सिद्ध न कर सके, उसको विद्युच्चर चोर ने सिद्ध…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भव्यकूट – Bhavyakuta. A type of stoop with rediant summits (in Samavasharan-assembly of Lord Arihant) समवशरण में दैदीप्यमान शिखरों से युक्त एक स्तूप एक जिसे भव्य जीव ही देख पाते हैं ” इसे अभव्य जीव नहीं देख पाते हैं क्योंकि स्तूप के प्रभाव से उनके नेत्र अंधे हो जाते हैं “
द्रव्य अनुयोग One of the 4 expositions (Anuyogs) of Jainism, dealing with substances (matters) & metaphysics. 4 अनुयोगों में एक – पदार्थों के अस्तित्व तथा उनके प्रमाण का वर्णन अथवा शुद्ध-अशुद्ध जीव आदि छः द्रव्यों का वर्णन।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भुजंगम – Bhujangama. Name of the 14th Teerthankar (Jaina – Lord ) in Videh Kshetra (region). विदेह क्षेत्र में स्थित १४ वें तीर्थकर का नाम “