वीतराग श्रमण!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीतराग श्रमण –VitaragaSrmana. One free from all passionate delusions, a saint. शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के राग से मुक्त साधु वीतराग श्रमण है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीतराग श्रमण –VitaragaSrmana. One free from all passionate delusions, a saint. शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के राग से मुक्त साधु वीतराग श्रमण है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिष्टाक – Pistaka. Name of the 28th Indrak or Patal (layer) of Saudharma Ishan Yugal heaven. सौधर्म ईशान युगल के २८ वें इन्द्रक या पटल का नाम “
त्रिखंडाधिपति Three Mlechchhakhand divisions. भरत-ऐरावत आदि क्षेत्रों के तीन खंडों के अधिपति राजा, प्रतिनारायण ये तीन खंडो के अधिपति होते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्यान – Vidhana. Arrangement, Particular procedural worshipping in Jainism, Ruling. किसी कार्य का आयोजन, अनुष्ठान, पूजा, कानून “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म लोभ – Sukshma Lobha. Minute greediness. सूक्ष्म साम्पराय को सूक्ष्म लोभ कहते हैं अथवा 10 वें गुणस्थान में पाया जाने वाला लोभ ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] न्यास – Nyaasa. Installation, Entrusting. रखना; निक्षेप, लोक व्यवहार नाम, stस्थापनादि “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाभिकमल – Nabhikamala Navel place, the center point of all Mantras (mystic words) नाभि जहाँ से मंत्रो के उच्चारण को बताया गया है, नाभि स्थान; पदस्थ ध्यान मंत्रो के स्थान योग्य 10 स्थानों में एक स्थान ”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == मुधाजीवी : == दुर्लभा तु मुधादायिन:, मुधाजीविनोऽपि दुर्लभा:। मुधादायिन: मुधाजीविन:, द्वावपि गच्छत: सुगतिम्।। —समणसुत्त : ४०४ मुधादायी—निष्प्रयोजन देने वाले दुर्लभ हैं और मुधाजीवी—भिक्षा पर जीवनयापन करने वाले भी दुर्लभ हैं। मुधादायी और मुधाजीवी, दोनों ही साक्षात् या परम्परा से सुगति या मोक्ष प्राप्त करते हैं।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुह्य – Suhya. Name of a country f Bharat Kshetra Arya Khand (region). भरत क्षेत्र आर्यखण्ड का एक देश ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवनभूमि – Bhavanabhumi. An auspicious land in the assembly of Lord Arihant. समवशरण की भूमि जहाँ ध्वजा – पताकयुक्त अनेकों भवन हैं “