प्रशस्त राग!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशस्त राग- देव शास्त्र गुरु के प्रति भक्तिरूपी राग प्रषस्त राग है। Prasasta raga- Devotion in the prayer of Lord, guru etc
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशस्त राग- देव शास्त्र गुरु के प्रति भक्तिरूपी राग प्रषस्त राग है। Prasasta raga- Devotion in the prayer of Lord, guru etc
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नसंचय – विजयार्घ की दक्षिण श्रेणी एवं पष्चिम विदेह क्षंेत्र के नगर का नाम Ratnasancaya- Name of a city situated in Southern Vijayardh Mountain & city of western videh region
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव आस्त्रव – Bhava Asrava. Emotions with passion etc. which cause flow of Karmas – are called Bhava Asrava. आत्मा के रागादि भाव जिनसे कर्म आते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रविचार- मैथुन के उपसेवन को प्रविचार कहते है। Pravicara- Sexual enjoyment
गारूडी विद्या Knowledge which removes the venomous effect by incantation. सर्प के विष को दूर करने वाली विद्या।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्यभिज्ञान- pratyabhijnana Recognition वह यही है इस प्रकार के स्मरण को प्रत्यभिज्ञान कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नप्रभा – अघोलोक की प्रथम भूमि,रूढि का नाम घम्मा है। यह एक लाख 80 हजार योजन मोटी हैं। इसके तीन भाग है – खर भाग, पंक भाग अब्बहुल भाग। इसमे खर भाग पंक भाग में भवनवासी और व्यंतर देवो के भवन है। आंैर तीसरे भाग अब्बहुल में नारकियों के भवन है। Ratnaprabha- Name of…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रतीकार- pratikara Retaliation, retribution, revenge, counter action. प्रतिरोध या विरोध करना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रत्नसंश्रवा – सुमाली का पुत्र तथा रावण का पिता। Ratnasrava- Father’s name of ravan